दूसरा ग्लोबल
बिहार समिट 17 से 19 फ़रवरी 2012 को पटना में होने जा रहा है। ऐसी उम्मीद है कि यह
पिछले बार के ग्लोबल समिट से कई मायनों में एक कदम आगे होगा। इसमें आने वाले लोग न
सिर्फ अपनी दक्षता से विभ्भिन क्षेत्रों में बिहार के विकास की रूप रेखा की चर्चा
करेंगे, बल्कि किस तरह से सरकार, यहाँ के नागरिक, प्रवासी बिहारी और विशेषज्ञ अपने-अपने स्तर से उसमें योगदान दे सकते हैं; किस तरह से सबके साझा योगदान से राज्य को और आगे ले जाया
जा सकता है, एक विकसित राज्य बनाया जा सकता है, की भी चर्चा की जाएगी।
अगर
आपको याद हो तो जिस समय पिछला ग्लोबल समिट हुआ था उस वक़्त बिहार ने विकास के पथ पर कदम ही रखा था। वो बिहार जो कभी हर क्षेत्र में पथ प्रदर्शक हुआ
करता था वह बिहार अपनी पहचान के संकट से गुजर रहा था। बाहर रहने वाले बिहारी खुद की पहचान बताने से कतराते थे। 2007 की उस जनवरी में
देश-विदेश के कई गणमान्य लोग जुटे और किस तरह से बिहार को रास्ते पर लाया जाए इसकी
चर्चा की गयी। उस चर्चा के आधार पर विभ्भिन क्षेत्रों में कार्य-योजना बनाई गयी या
कार्य-योजना बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। लोगों ने विशेषज्ञों के नज़रिये से भी सोंचना शुरू किया। इसके बाद एक और साकारात्मक चीज़ देखने को मिली वो यह थी कि बाहरी लोगों ने बिहार को साकारात्मक तरीके से
देखना शुरू किया। आज बिहार प्रगति की राह पर चल रहा है।
कई कदम आगे बढ़ चुका है, पर अभी भी काफी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। ऐसे में बिहार को अब प्रगति की रफ्तार को और तेज़ करने की
आवश्यकता महसूस हुई। इसी को ध्यान में रखकर बिहार की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दूसरा ग्लोबल समिट आयोजित किया
जा रहा है।
तीन दिनों तक चलने वाले इस समिट का उदघाटन
17 फ़रवरी को नेपाल के प्रधानमंत्री श्री बाबू राम भट्टराई के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार एवम माननीय उप-मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी की उपस्थिति में किया जाएगा। उसी दिन प्रथम प्लेनरी सत्र रखा गया है जिसकी अध्यक्षता राज्यसभा
सदस्य श्री एन0के0सिंह के द्वारा की
जाएगी। इस प्लेनरी का विषय "कम विकसित क्षेत्रों को समग्र विकास की मुख्यधारा
में लाने हेतु कार्य योजना" है और इस सत्र में रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री
डी0 सुबबराओ, लंदन स्कूल ऑफ इक्नोमिक्स के लॉर्ड निकोलस स्टर्न एवं योजना आयोग के
उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी अपने विचारों से लोगों को अवगत करायेँगे। संध्या में आगंतुकों हेतु एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें बिहार के लोक गीत और लोक नृत्य की प्रस्तुति की जाएगी। इसमें
बिहार के लोक संगीत में प्रयोग में आने वाले विभ्भिन वाद्य यंत्रों पर आधारित एक
प्रस्तुति भी रखी गयी है। साथ ही बिहार के गौरव को प्रदर्शित करती बिहार गौरव गान
को प्रस्तुत किया जाएगा।
इस समिट में कुल 6 प्लेनरी एवं 11 पैरलल सेशन रखे गए हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, औद्योगिक विकास, आधारभूत संरचना
विकास, कृषि विकास, शहरी विकास, पर्यटन विकास, उद्यमिता विकास, समग्र विकास, सांस्कृतिक
पुनर्जागरण इत्यादि थीम पर आधारित हैं। 18 देशों से लगभग 1000 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है।
यह
प्रवासी बिहारियों और बिहार के शुभचिंतकों का समागम है, जो एक
ऐसा मंच प्रदान करता है जिसमें अपने क्षेत्र के दिग्गज, सरकार
के प्रतिनिधि, और बिहार में काम करने वाले एक साथ आकार अपने विचार, योजना
और अनुभव से कुछ ऐसा निचोड़ सकें जिससे बिहार को तीव्र गति से विकास की धारा में
लाया जा सके। आज सरकार की तरफ से इक्षाशक्ति है, बिहार
के लोगों की तरफ से सापेक्ष सहयोग मिल रहा है,
प्रवासी बिहारी भी
अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में जरूरत है सिर्फ इस बात कि एक फुलप्रूफ कार्य-योजना बनाई जाये जिस पर बिहार
आगे बढ़े। जब हर नज़रिये से बातें सामने आएंगी तो निश्चित रूप से मंथन के बाद निचोड़ अमृत
ही निकलेगा। बलते बिहार पर आयोजित यह वैश्विक सम्मेलन एक प्रयास है – सबों को साथ लाने
का, मिल कर
कम करने का। तो आइये, इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनें
और अपने स्तर से बिहार के विकास में योगदान दें।
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